सुझाव 1 : आप UCC के बजाय इसका नाम ICC(Indian Civil Code) भारतीय नागरिक संहिता ) रखिये। इसमें 10 चैपटर बनाइये।
सुझाव 2 : चैपटर नंबर 1 :Equal Age of Merriage : विवाह की उम्र सबकी एक समान होनी चाहिए।
सुझाव 3 : चैपटर नंबर 2 : Equal Procedure of Marriage : शादी के रजिस्ट्रेशन का प्रोसीज़र सब के लिए एक समान होना चाहिए।
सुझाव 4 : चैपटर नंबर 3 :Equal Grounds of Divorce: शादी विवाह का जो ग्राउंड है वो सब का कॉमन होना चाहिए। अगर नपुंसकता , बांझपन या कोढ़ होने पर तलाक हो, जो भी ग्राउंड हो वो सब के लिए एक समान होना चाहिए | अभी तलाक का ग्राउंड सभी धर्मो के लिए अलग अलग है।
सुझाव 5 : चैपटर नंबर 4 :Equal Procedure of Divorce : हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख का जो डिवोर्स होता है वो कोर्ट के जरिए होता है। मुस्लिम्स में आज भी सिंपल तलाक भले खत्म हो गया। तलाक ए हसन तलाक ए हसन तलाक ए बाइन तलाक ए इनाया ये SMS के जरिए हो रहा है, ईमेल के जरिए हो रहा है, वॉट्सऐप के जरिए हो रहा है, कोरियर के जरिए हो रहा है, टेलीग्राम के जरिए होता है। स्पीड पोस्ट के जरिए हो रहा है जो आज भी चल रहा है। जो प्रोसीज़र ऑफ divorce है तलाक लेने का तरीका वो भी सबका समान होना चाहिए।
सुझाव 6 : चैपटर नंबर 5 : Equal Right of Maintenance : मेन्टेन्स का राइट सबको मिलना चाहिए। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख में मेन्टेन्स का राइट हैं, उनको गुज़ारा भत्ता मिलता है, लेकिन हमारी मुस्लिम बेटियों को केवल मेहर की रकम मिलती हैं। ₹10000- ₹20,000 मिल जाती है, बाद में कुछ नहीं मिलता है। ये खत्म होना चाहिए, गुज़ारा भत्ता सबको मिलना चाहिए।
सुझाव 7 : चैपटर नंबर 6 : Equal Right to Adopt Child : गोद लेने का अधिकार भी सबको मिलना चाहिए। आज की डेट में हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख की दो बेटियां हैं। उनको गोद लेने का अधिकार है। अगर बच्चा नहीं हुआ तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। बच्चा अडॉप्ट कर सकते हैं। हमारी मुस्लिम बेटियां बच्चा अडॉप्ट नहीं कर सकते हैं। उनके पास लेने का अधिकार नहीं है और बच्चा नहीं होता |
सुझाव 8 : चैपटर नंबर 7 : एक पति, एक पत्नी का नियम सबके लिए लागू होना चाहिए।
सुझाव 9 : चैपटर नंबर 8 : हम दो हमारे दो सबके लिये लागू होना चाहिए।
सुझाव 10 : चैपटर नंबर 9 :Equal Right of Succession Inheritance : बेटे और बेटियों को एक समान विरासत और वसीयत का अधिकार विरासत का एक समान अधिकार सबको मिलना चाहिए। हमारी मुस्लिम बेटियों को विरासत का समान अधिकार नहीं है। वसीयत का एक समान अधिकार सबको मिलना चाहिए। मुस्लिम बेटियों को वसीयत का समान अधिकार नहीं है
सुझाव 11 : चैपटर नंबर 10 : Equal Right of Parents Care : माता पिता की देखभाल का अधिकार भी सबको मिलना चाहिए। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख में बेटियां अपने माता पिता का देखभाल कर सकती है। उनको पैरेन्ट्स के राइट है, हमारी मुस्लिम बेटियों की अगर शादी हो गई और उनके भाई नहीं है तो माता पिता की सेवा करने के लिए कोई है नहीं, वो अभी वो खुद सेवा नहीं कर सकती है।
सुझाव 12 : कुछ लोग जिनकी स्वार्थ की दूकान ये बिल आने से बंद होगी वो लोगों में भ्रम फैला रहे हैं और गुमराह कर रहे हैं | इसलिए बनाने और बिल लागु करने से ज्यादा जरुरी है एक एक व्यक्ति तक सही जानकारी पहुँचाना | इसके लिए सभी सांसदों और विधयाकों को सक्रिय करना होगा वर्ना सब प्रयास व्यर्थ हो जायेंगे |
कॉमन सिविल कोड की जरूरत हमारी मुस्लिम बेटियों को ज्यादा हैं । कॉमन सिविल कोड का सबसे ज्यादा बेनिफिट हमारी मुस्लिम बेटियों को मिलेगा और जब हम आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं तो हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख का अलग अलग कानून खत्म होना चाहिए। सबको समान अधिकार मिलना चाहिए और वो तभी हो सकता है जब कॉमन सिविल कोड हो और जहाँ तक कुछ लोग कहते हैं कि आर्टिकल 25 में हमको राइट मिला हुआ है, हमको धर्म पालन का अधिकार है, अपनी कल्चर को मानने का अधिकार है, मैं बहुत स्पष्ट कर दूँ। कॉन्स्टिट्यूशन में रीतियों का अधिकार है, कुरीतियों को नहीं।
कॉन्स्टिट्यूशन में प्रथा को फॉलो करने का राइट है, कुप्रथा को नहीं कॉन्स्टिट्यूशन धर्मपालन का अधिकार देता है धर्मांतरण का नहीं ये तीन तलाक, हलाला, मुता, मिस्यार, तलाक ए हसन, तलाक ए हसन, तलाक ए बाईन तलाक की कि ये सारी कुप्रथा ये कुरीति है। कॉन्स्टिट्यूशन इसका बिल्कुल अधिकार नहीं देता और ये कॉन्स्टिट्यूशन भारत का कॉन्स्टिट्यूशन है। ये भारत का संविधान है। ये अमेरिका का संविधान नहीं है। ये दुबई का या कुवैत का संविधान नहीं है। ये भारत का संविधान है तो ये भारत की स्पिरिट में। भारत की संस्कृति के अनुसार भारत की परंपरा के अनुसार चलना चाहिये |
भारत की रीती रिवाज के अनुसार ही चलना चाहिए और भारत की परंपरा है। नारी तू नारायणी भारत की परंपरा है गृहणी भारत में तो महिला को बल्कि ऊपर रखा गया है। हम लोग कहते हैं सीताराम, राधे कृष्ण, गौरीशंकर ये हम कहते हैं हमारे परंपरा में महिलाओं को कोई जूती की नोक पर रखने का सिस्टम नहीं है। हमारी परंपरा में महिलाओं को ऊपर रखा गया है। दुर्भाग्यवश जितने भी पर्सनल ला चल रहे हैं अंग्रेजों ने बनाए चाहे वो क्रिस्चन मैरिज एक्ट है, चाहे वो मुस्लिम शरीयत ऐक्ट है या पारसी मैरिज एक्ट है। इसमें महिलाओं को सेकंड क्लास सिटिजन बना रखा है। ये खत्म होगा तो देश की सभी बहन बेटियों को इक्वलिटी मिलेगा।